विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, निपाह वायरस चमगादड़ से फलों में और फलों से इंसानों और जानवरों में फैलता है. 1998 में पहली बार मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह में इसके मामले सामने आए थे. इस वजह से इसका नाम निपाह वायरस दिया गया. 2004 में यह निपाह वायरस का मामला बांग्लादेश में भी सामने आया था.
क्या है निपाह वायरस-
निपाह मनुष्यों और जानवरों में फैलने वाला एक गंभीर इंफेक्शन (वायरस) है. यह वायरस एन्सेफलाइटिस का कारण होता है, इसलिए इसे 'निपाह वायरस एन्सेफलाइटिस' भी कहा जाता है. 'निपाह वायरस' हेंड्रा वायरस से संबंधित है. यह इंफेक्शन फ्रूट बैट्स के जरिए फैलता है.
शुरुआती जांच के मुताबिक खजूर की खेती से जुड़े लोगों को ये इंफेक्शन जल्द ही अपनी चपेट में ले लेता है. इस वायरस की वजह से 2004 में बांग्लादेश में काफी लोग प्रभावित हुए थे. पहले इसका असर सुअरों में भी देखा गया था.
निपाह वायरस के लक्षण-
इंसानों में निपाह वायरस एन्सेफलाइटिस से जुड़ा हुआ है, जिसकी वजह से ब्रेन में सूजन आ जाती है. बुखार, सिरदर्द, चक्कर आना शुरुआती लक्षणों में पाया गया है. डॉक्टरों के मुताबिक कुछ मामलों में 24-28 घंटे के अंदर लक्षण बढ़ने पर मरीज कोमा में भी चला जाता है.
जानलेवा है निपाह वायरस-
इस वायरस से प्रभावित लोगों को सांस लेने
की दिक्कत होती है फिर दिमाग में जलन महसूस होती है. वक्त पर इलाज नहीं
मिलने पर मौत भी सकती है.
बचाव के तरीके-
अब तक इस वायरस से जुड़ी कोई वैक्सीन नहीं आई है. इस वायरस से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए. पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए. यह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है. इसे रोकने के लिये संक्रमित रोगी से दूरी बनाए रखने की जरूरत होती है. मरीज का देखभाल वायरस से ठीक करने का एकमात्र तरीका है. संक्रमित जानवर खासकर सुअर को हमेशा अपने से दूर रखें.